और भी बड़े पक्के तथा बुद्धि गम्य प्रमाण मिल गये, कि जिन बातों को उक्त महाशय जान सके थे, वे ही पुलिस जान सकी ।
2.
पर, मैं ने आज तक किसी भी संस्कृतज्ञ के लेखन में या भाषण में व्यास ह्युस्टन के कथन जैसा गूढ सत्य, जो विचार करने पर सहज बुद्धि गम्य ही नहीं पर ग्राह्य भी प्रतीत हो, ऐसे परम सत्य को परिभाषित करनेवाला विधान सुना नहीं था, या पढा नहीं था।